Saturday, May 12, 2012


प्रीत तो सब करते है इस जहाँ में,
कोई जहाँ बना सके तो वह आप है,
कोई बनाता है तस्वीर, तो कोई शायरी,
जिसे जीवन बना सके तो वह आप है,
"मानता" तो सब मानते है, हर जन्नत की,
मानवता को कोई जन्नत बना सके तो वह आप है,
सपने भी तो सब देखते है, जी भर कर,
जिसे उपवन बना सके तो वह आप है,
कुदरत ने जो फूल खिलाएं है उसकी कसम,
हमें कोई पहचान बना सके तो वह आप है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")
शुक्रिया,

सब का जिन्होंने मेरी कलम को, शब्दों के जरिये पढ़ा,

और दिल से प्रतिभाव भी प्रकट किए,

अब पेश है वह गाना जो मेरी पसंद में से एक है,

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