Monday, November 7, 2011

"भय"

"भय"
जो न केवल डरपोकों को, बल्कि अभय और बहदूरों को भी अक्सर तंग करता रहता है,
भय कई वजहों से पैदा होता है, किसीसे भयजनक या बूरी खबर सुन लेने के बाद,
दिल अजीब सा तनाव महसूस करने लगता है, चाहे भय फ़ैलाने वालों की वह खबर
सही न भी हो, फिरभी मन में जो संदेह होता है वह भय की निशानी है,
यह बात हुई कानो से सुनी हुई ख़बरों की वजह से पैदा हुए हालातों की,
जबकि आँखों से खौफनाक नजारा देख लेने के बाद जो भय की तस्वीर बनती है,
उसकी तासीर भी कुछ अजीब सी ही होती है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")

Monday, May 16, 2011

साक्षात् ईश्वर

किसी शक्ति को पाने के लिए ईश्वर की भक्ति करने के बजाय,
सही भक्ति को पाने के लिए पुरे संयम और स्वयं से शक्ति पैदा करने से,
ईश्वर की शक्ति भक्त के दिल में आ कर चार गुनी हो जाती है,
फिर वहा भक्ति का जो मंदिर बनता है,
वहा साक्षात् ईश्वर भी स्वयं विराजमान हो जाता है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")

कल का राज,

काफी सुझबुझ और भरपूर समजदारी के साथ की गई हर पहल से जो पल,
फिर दो पल, और ऐसी कई पलों से जो फल और फूल खिलते है,
उसके रस, रंग, रूप और सुहास से जो सफल जीवन बनता है,
उसीमें ख़ुशी व् सुखमय कल का भी राज छिपा हुआ होता है,

(श्री हरीश खेतानी ''हरि'')

''जिसे चोरी नहीं माना जाता, उसे चतुराई कहा जा सकता है''


जो लोग धन दौलत के पीछे पड जाते है, ऐसी पक्रिया में वह अक्सर जीवन के नियम और रिवाज तक भूल जाते है,
जो लोग बहुमूल्य रिवाजो का अमल नहीं करते, उन्हें तक, तक़दीर और ताकत का वरदान नहीं मिलता है,
किंतु मन और तन से जो सच्चा, दुरस्त, साफ, और चतुर मानव होता है उन्हें, ऐसे कई वरदान यूँही मिल जाते है,
जिसके बदौलत धन दौलत भी उसके पीछे पड जाती है, ऐसी सफलता को मानव की बड़ी चतुराई मानी जा सकती है.
और सच्चाई तथा चतुराई से जो कुछ भी प्राप्त हुआ हो उसे चोरी का नाम नहीं दिया जा सकता..

कड़ी मेहनत के पसीने की ताकत से जो प्राप्त हो वह चतुराई, ऐसी ताकत के बिना जो मिले वह चोरी.
दौलत के पीछे नहीं, बल्कि दौलत को पीछे पड़ने दो तो वह मानव की चतुराई,
वर्ना चोरी.

मगर अफ़सोस की बात तो यह है कि आजकल हर जगह चतुराई काफी कम देखने को मिलती है,
इसीलिए नकली, बनावट और चोरी का दौर चल रहा है, जहाँ संयम, स्वयं तथा स्व का कोई वर्ग ही नहीं है,
किन्तु स्वर्ग तो चतुराई के दौर में उपलब्ध हो सकता है, वहां ईश्वर भी सदा साक्षात् रूप में विराजमान होते है,

तो फिर उन्हें चोरी के आलम में ढूंढने के गलत प्रयास क्यों ?

( श्री हरीश खेतानी ''हरि'' )

यही तो बड़ा ड्रामा है,

यही तो बड़ा ड्रामा है, लोगो को नासमज मानने का,
ऐसे (खास करके आज के) नेताओ को कम से कम एक साल तक गरीबो की बस्ती में बिलकुल गरीबो की तरह रखने की जरुरत है,
सजा के तौर पर,
ताकि समज सके कि ऐसे करोडो लोगो की मनोदसा तथा स्थिति क्या होती है,
लोगो के विश्वास के साथ खिलवाड़ करने वाले सरकार में रहेंगे तब तक भारत का कतई उदय नहीं होंगा,
उदहारण के तौर पर, मानलो कि अगर राहुल गाँधी को ऐसी सजा दी जाएँ तो क्या वह महात्मा गाँधी बन सकेंगा?
(श्री हरीश खेतानी ''हरि'')