मिलो जब पवन से, उनकी तस्वीर खिंच लेना,
मिलो जब चमन से, उनके रंगों को चुरा लेना,
मुहब्बत में, दिल की धड़कने लगे बुझती हुई,
जब मिलो फूलों से, उनकी खुशबू समेट लेना,
( श्री हरीश खेतानी "हरि" )
मिलो जब चमन से, उनके रंगों को चुरा लेना,
मुहब्बत में, दिल की धड़कने लगे बुझती हुई,
जब मिलो फूलों से, उनकी खुशबू समेट लेना,
( श्री हरीश खेतानी "हरि" )
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