Sunday, December 5, 2010

हँसतें हुए रिश्तो का खूबसूरत बाग़

हँसतें हुए रिश्तो का कोई खूबसूरत बाग़ हो,

जहा रिश्तों में स्नेह की मनमोहक महक हो,

सुख हो या दुःख,  

हर मौसम में मुस्कान और संयुक्ता हो,

हर पल नए मिलन का एहसास हो,

ऐसा कोई जहाँ बने जिसे जीवन कह सके,

जिसकी शक्ति को वक़्त भी मिटा न सके,

ऐसी तक, तक़दीर और ताकत के संगम को "प्यार" कहते है,

जिसमें सद विचार और व्यवहार सम्मलित होते है,

जिसका व्यापार नहीं किया जा सकता,

(श्री हरीश खेतानी "हरि")

?????कदमो का नाम है जीवन......

जो हँस कर हँसा सके, रुला सके और खुद रो भी सके ऐसे मुकामो से गुजरे हुए और, गुजरते हुए कदमो का नाम है जीवन..
जो जीने का कारण भी है, उस कारण में कभी आंसू न बहे हो और मुस्कान न खिली हो तो वह मन के मरण का सबूत भी है, तन और धन का अंत कभी न कभी निरधारित है, किन्तु मन का मरण वाकई बेवक्त हुए बेमौत पतन का प्रमाण है, जिसे दुनिया की यादों की यादी में कोई जगह नहीं मिलती, यदि थोड़ी सी भी जगह मिल जाए तो वह दिल का स्वर्ग है, जिसकी रंगीन फूलों से भरपूर बहारों की हरियाली में, हमेंशा प्रेमभक्ति रस के गीत संगीत समेत गुंजन, सुहासित धुपसली की तरह बरक़रार रहता है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")