Monday, September 6, 2010

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समभाव से ही संप संभव बनता है,

जो हमें कुछ लाभदायक सिखाये, या जिसकी राय से हमारे जीवन को कोई नई राह मिले तो वह शिक्षक, सही शिक्षक, माँ-बाप की तरह हमेशा इश्वर से काफी करीब होता है, जो जन्म और उचित शिक्षा का दान करके हमें कुछ अलग रूप देने का प्रयास करते है,
 ऐसे शिक्षको के दिन पर,

सभी मित्रों और रिश्तों को शुभ और लाभ भरी कामनायें, 

 

 ऐसे तमाम शिक्षको को मेरा नम्र निवेदन है कि अपने विद्यार्थिओं की कोई भूल के वक्त,
क्षमादान और समाधान से काम लेते हुए उनकी भूलों को दूर करने का प्रयास जारी रखे,
न कि उसका बहिस्कार करके उन्हें शिक्षा दान से वंचित रखे,
और शिक्षा दान के दौरान कोई भेदभाव भी नहीं रखना चाहिए,
ऐसा करने से विद्यार्थी में अवगुण पैदा हो जाते है, जो उन्हें नई राह से विमुख बना देते है,
सही शिक्षण से जो विमुख बनायें वह काम शिक्षक का नहीं,
क्योंकि समभाव से ही संप संभव बनता है,
इसलिए जो संप और संयम से अपने या दूसरों के जीवन को सजाये वही जीवन शिक्षक भी हो सकता है,