Monday, November 7, 2011

"भय"

"भय"
जो न केवल डरपोकों को, बल्कि अभय और बहदूरों को भी अक्सर तंग करता रहता है,
भय कई वजहों से पैदा होता है, किसीसे भयजनक या बूरी खबर सुन लेने के बाद,
दिल अजीब सा तनाव महसूस करने लगता है, चाहे भय फ़ैलाने वालों की वह खबर
सही न भी हो, फिरभी मन में जो संदेह होता है वह भय की निशानी है,
यह बात हुई कानो से सुनी हुई ख़बरों की वजह से पैदा हुए हालातों की,
जबकि आँखों से खौफनाक नजारा देख लेने के बाद जो भय की तस्वीर बनती है,
उसकी तासीर भी कुछ अजीब सी ही होती है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")

1 comment:

Anonymous said...

આધાર વિહોણી હઠ રાખનાર ઉપર ભવસાગર ના તારણહાર નો હાથ અને, સંબંધીઓ નો સાથ રહેતો નથી,

आधारहीन हठ रखने वाले पर भवसागर के तारक का हाथ और रिश्तेदारों का भी साथ नहीं रहता.

( श्री हरीश खेतानी "हरि" )