Monday, May 16, 2011

साक्षात् ईश्वर

किसी शक्ति को पाने के लिए ईश्वर की भक्ति करने के बजाय,
सही भक्ति को पाने के लिए पुरे संयम और स्वयं से शक्ति पैदा करने से,
ईश्वर की शक्ति भक्त के दिल में आ कर चार गुनी हो जाती है,
फिर वहा भक्ति का जो मंदिर बनता है,
वहा साक्षात् ईश्वर भी स्वयं विराजमान हो जाता है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")

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