Sunday, December 5, 2010

?????कदमो का नाम है जीवन......

जो हँस कर हँसा सके, रुला सके और खुद रो भी सके ऐसे मुकामो से गुजरे हुए और, गुजरते हुए कदमो का नाम है जीवन..
जो जीने का कारण भी है, उस कारण में कभी आंसू न बहे हो और मुस्कान न खिली हो तो वह मन के मरण का सबूत भी है, तन और धन का अंत कभी न कभी निरधारित है, किन्तु मन का मरण वाकई बेवक्त हुए बेमौत पतन का प्रमाण है, जिसे दुनिया की यादों की यादी में कोई जगह नहीं मिलती, यदि थोड़ी सी भी जगह मिल जाए तो वह दिल का स्वर्ग है, जिसकी रंगीन फूलों से भरपूर बहारों की हरियाली में, हमेंशा प्रेमभक्ति रस के गीत संगीत समेत गुंजन, सुहासित धुपसली की तरह बरक़रार रहता है,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")

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