Sunday, December 5, 2010

हँसतें हुए रिश्तो का खूबसूरत बाग़

हँसतें हुए रिश्तो का कोई खूबसूरत बाग़ हो,

जहा रिश्तों में स्नेह की मनमोहक महक हो,

सुख हो या दुःख,  

हर मौसम में मुस्कान और संयुक्ता हो,

हर पल नए मिलन का एहसास हो,

ऐसा कोई जहाँ बने जिसे जीवन कह सके,

जिसकी शक्ति को वक़्त भी मिटा न सके,

ऐसी तक, तक़दीर और ताकत के संगम को "प्यार" कहते है,

जिसमें सद विचार और व्यवहार सम्मलित होते है,

जिसका व्यापार नहीं किया जा सकता,

(श्री हरीश खेतानी "हरि")

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