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हँसतें हुए रिश्तो का खूबसूरत बाग़
हँसतें हुए रिश्तो का कोई खूबसूरत बाग़ हो,
जहा रिश्तों में स्नेह की मनमोहक महक हो,
सुख हो या दुःख,
हर मौसम में मुस्कान और संयुक्ता हो,
हर पल नए मिलन का एहसास हो,
ऐसा कोई जहाँ बने जिसे जीवन कह सके,
जिसकी शक्ति को वक़्त भी मिटा न सके,
ऐसी तक, तक़दीर और ताकत के संगम को "प्यार" कहते है,
जिसमें सद विचार और व्यवहार सम्मलित होते है,
जिसका व्यापार नहीं किया जा सकता,
(श्री हरीश खेतानी "हरि")
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